हमें कोई इंफॉर्मेशन चाहिए होती है तो हम में से लगभग सभी लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं और जानकारी प्राप्त कर लेते हैं। इंटरनेट से जानकारी आसानी से हासिल हो जाती है और इसके लिए हम स्मार्ट फोन से लैपटॉप और डेक्सटॉप का इस्तेमाल करते हैं।
हम हर दिन हजारों जी से इंटरनेट पर सर्च कर हम दुनिया भर में हो रही खबरों को भी जान पाते हैं। लेकिन केवल इस दलित की मदद से ही आप जानकारी हासिल नहीं कर सकते क्योंकि इस डिलीट करने के बाद हमें एक ऐसे माध्यमिक इस जरूरत होती है जिसके जरिए हम अपने सवाल को लिखकर सर्च कर पाते हैं और उस माध्यम को वेब ब्राउज़र कहते हैं कि बिना इंटरनेट आपको जानकारी देने में सक्षम नहीं है।
इसीलिए आज हम आप सभी के लिए वेब ब्राउज़र से जुड़ी सारी जानकारी लेकर आया है। यह बताया जाएगा कि कमीशन पाने के लिए वेब ब्राउज़र की जरूरत क्यों होती है। आर्टिकल में आगे बढ़ने से पहले दोस्तों आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत है।
Web Browser क्या होता है?
सबसे पहले हम जानते हैं कि वह ब्राउज़र क्या है। वह ब्राउज़र एक ऐसा सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है जो यूजर्स को इंटरनेट से कमीशन को ढूंढने में मदद करता है। वह ब्राउज़र पुतरिया है जो वर्ल्ड वर्ल्ड मैप में मौजूद वेबसाइट पर मिलने वाले किसी भी तरह की जानकारी जैसे आज गर्ल्स, फोटोस, वीडियोस, म्यूजिक आदि चीजों को एक्सेस करने की अनुमति देता है।
आज हम दिलजले का इस्तेमाल कर जो कुछ भी पढ़ते या सर्च करते हैं वह सभी वेबसाइट की वेब पेज एस पर मौजूद होता है और कंप्यूटर की भाषा में एचटीएमएल लिखा जाता है जिसे हाइपर टेक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज कहा जाता है इस रिपोर्ट को लेकर साइकिल डिजाइन करने में क्या जाता है।
ब्राउज़र के एड्रेस पर कोई सवाल लिखकर क्विज सॉफ्टवेयर हमें अनगिनत पेपर जिसमें से हमारे द्वारा ढूंढने जाने वाले जानकारी हमारे डिवाइस की स्क्रीन पर दिखा देता है। उसके बाद हमें वह जानकारी मिल जाती है। हर कंप्यूटर डिवाइस में इंस्टॉल रहता है। जब हमारा डिवाइस इंटरनेट से जुड़ता है तब यह ब्राउज़र काम करना शुरू करता है जो वेब ब्राउज़र एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। बिना इंटरनेट के ना हम वेब ब्राउज़र का इस्तेमाल कर सकते हैं और ना ही बिना वेब ब्राउज़र के इंटरनेट हमारे किसी काम आ सकता है।
Web Browser का इतिहास क्या है?
अब हम जानेंगे दोस्तों वेब ब्राउज़र का इतिहास क्या है, वह भी हम इसके बारे में जान सकते हैं। वेब का मतलब होता है। क्या हाल जिसे नाम दिया गया है और ब्राउज़र का मतलब होता है। ढूंढना शब्द का पूरा मतलब है। इंटरनेट की दुनिया में जाकर किसी विषय के बारे में झूले ना दुनिया के किसी भी कोने में रह रहे लोगों को हर चीज का ज्ञान मिले। इसके लिए वेब ब्राउज़र को बनाया गया है। वेब ब्राउज़र कंप्यूटर में तबले का अविष्कार हुआ है। सन 1990 में जब दिन berners-lee कंप्यूटर पर इनफॉरमेशंस को शेयर करने के तरीके पर काम कर रहे थे। इस कार्य को हाइपरलिंक के द्वारा आसान कर दिया।
हाइपरलिंक एचटीएमएल लैंग्वेज की एक समान होती है जिसका इस्तेमाल वे जिस में लिख। हाइपरलिंक का वह भाग होता है जिसमें अन्य किसी पर भेज कर बता दिया होता है। उस लिंक पर क्लिक करने पर ब्राउज़र हमें दूसरे पेज पर ले जाता है। दिन भर ने ली ने कंप्यूटर पर मौजूद देता यह इंफॉर्मेशन को दूसरे कंप्यूटर पर पाने के लिए लैंग्वेज का निर्माण किया था कि अमल को स्पेशल कमेंट में लिखा जाता है। उसे प्रोग्रामिंग भाषाओं से बिल्कुल अलग और आसान होता है। इन स्पेशल कमात्स्को एचटीएमएल टेक्स्ट के नाम से जाना वे पेजेस बनाए जाते हैं। लेकिन समस्या यह थी कि इंटेक्स को हर कोई नहीं समझ सकता था।
इसलिए उन्होंने एक ऐसा सॉफ्टवेयर बनाया। एचटीएमएल टेक्स्ट को पढ़कर यूजर्स के सामने योग्य भाषा में इंफॉर्मेशन दिखा सके। इस सॉफ्टवेयर को ब्राउज़र का नाम दिया गया जिससे मैं ब्राउज़र पर। ज्यादा है। के पहले वेब ब्राउज़र का नाम वर्ल्ड वाइड वेब था जिसे बाद में बदलकर नेक्स्ट कर दिया गया था। सन 1993 में मौजा एक नाम का एक नया वेब ब्राउज़र मार्ग इंद्र सीन और उनकी टीम द्वारा बनाया गया था। उस समय का पहला ऐसा ब्राउज़र का टेक्स्ट और इमेज को एक साथ डिवाइस स्क्रीन पर दिखा सकते। अपने फ्यूचर की वजह से मौसा एक वेब ब्राउज़र का इस्तेमाल दुनिया भर के लोगों ने करना शुरू कर दिया था।
उसके अगले ही साल 1994 में मार्च खुद ही एक और वेब ब्राउज़र बनाया था जिसका नाम उन्होंने नेटस्कैप नेविगेटर दिया। इस वेब ब्राउज़र के लॉन्च होने के कुछ समय बाद दुनियाभर के 90% इंटरनेट यूजर्स के कंप्यूटर डिवाइसेज में पहुंच चुका था। 1995 में नेटस्कैप नेविगेटर ब्राउज़र को टक्कर देने के लिए।
माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने इंटरनेट एक्सप्लोरर नाम का एक वेब ब्राउज़र लॉन्च किया जो विंडोज 95 ऑपरेटिंग सिस्टम के पैकेट के साथ ही मुफ्त में उपलब्ध करवाया गया। मुफ्त इंटरनेट यूजर्स को इंटरनेट एक्सप्लोरर इस्तेमाल करने की सुविधा मिल रही थी। इसीलिए नेटस्कैप नेविगेटर को पैसे देकर इस्तेमाल करने की सलाह दी।
किसी इसीलिए किसी कारण से नेटस्कैप नेविगेटर वेब ब्राउज़र की दुनिया से चला गया। उसके बाद धीरे-धीरे कई सारे बड़े-बड़े ब्राउज़र नए-नए जैसे कि मोज़िला फायरफॉक्स सफारी ओपेरा यूसी ब्राउजर ब्राउजर में अपनी खास जगह बनाई है। इनमें ब्राउज़र्स में छोटे-छोटे अंदर है, लेकिन इन सभी का काम इंटरनेट सर्फिंग करना ही है एक कंप्यूटर ज्यादा वेब ब्राउज़र का इस्तेमाल किया जा सकता है और आप जानते हैं दोस्तों को वेब ब्राउज़र काम कैसे करता है।
Web Browser काम कैसे करता है?
वह ब्राउज़र क्लाइंट सर्वर मॉडल पर काम करता है। जब हम कोई जानकारी ऐसे नेट पर सर्च करते हैं। द ब्राउज़र उस जानकारी को देखने के लिए वेबसाइट का फुल लिस्ट तैयार करता है। सारा पूछी गई जानकारी उपलब्ध रहती है। जब यूजर उस लिस्ट में से किसी एक वेबसाइट के ऊपर क्लिक करता है तो ब्राउज़र उस वेबसाइट के सर्वर से कांटेक्ट करके उसको लाकर यूजर्स के डिवाइस स्क्रीन पर दिखा देता है। यहां यूजर का डिवाइस एक बहन के रूप में काम करता है और वेबसाइट सर्वर ग्रुप में काम करता है। जानकारी पहुंचाने में मदद करता है। इंटरनेट पर मौजूद सभी तरह के डाटा और इनफॉरमेशन को यूजर के कंप्यूटर स्क्रीन पर लाने का काम करता है।
यह सभी डाटा कंप्यूटर की भाषा में लिखी हुई Html कहते हैं। आशा को वेब ब्राउज़र आसानी से समझ लेता है और इस भाषा को ट्रांसलेट करता है और यूजर द्वारा रिक्वेस्ट है ताकि इंटरनेट यूजर आसानी से कांटेक्ट को पढ़ सके। इंटरनेट डाटा को लाने के लिए अलग-अलग प्रकार के रूल का पालन करना पड़ता है। उसको कॉल कहां जाता है। एचटीएमएल में एचटीटीपी हाइपर टेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकोल प्रोटोकॉल का इस्तेमाल किया जाता है जो प्राप्त करने में मदद करता है। सर बस को बताता है कि कैसे वह पेज के कांटेक्ट को फॉर्मेट कर यूजर में पहुंचाना है।
एसिडिटी की मदद से जॉइंट्स और सर्वस को एक दूसरे से जुड़ने की अनुमति मिलती है। इंटरनेट पर मौजूद जितने भी वेब ब्राउज़र है जो वेबसाइट ऑफ वेजेस को अपने पास भी प्रोटोकॉल को सपोर्ट करते हैं। तभी जाकर ब्राउज़र फुल से जुड़कर सारी जानकारी यूजर्स को आसानी से दे पाते हैं।
जब कोई विंडोज के द्वार पर एक वेब एड्रेस डालता है जैसे www.facebook.com 10 सबसे पहले ब्राउजर आईएस डोमेन नेम सब यहां पर दिए गए उदाहरण में डोमेन नेम facebook.com है। डीएनए सरवर में डोमेन नेम यानी facebook.com से जुड़े ब्राउज़र का आईपी ऐड्रेस रहता है। आईपी ऐड्रेस इन वेब सर्वर का एड्रेस है जहां रिक्वेस्ट किए गए वेजेस तो होगा रहते हैं।
आईपी एड्रेस देता है। उसके बाद फेसबुक का सारा डाटा मौजूद रहता है। वहां से ब्राउज़र रिक्वेस्टेड में पेज को निकालकर यूजर के स्पीड पर सारी जानकारी दिखा देता है और इस तरह एक्यूजर सारी जानकारी प्राप्त होती है।
Conclusion
आशा है कि आप को इस आर्टिकल से वेब ब्राउज़र क्या है और इसकी इतिहास से जुड़ी सारी जानकारी आपको मिल गई होगी। मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती है कि हमारी आर्टिकल के जरिए आपको पूरी जानकारी प्राप्त हो सके ताकि आपको कहीं और जाना ना पड़े। इस आर्टिकल से जुड़ी कोई परेशानी हो तो आप हमें नीचे कमेंट में बता सकते हैं ताकि हम आपकी परेशानी को जल्द से जल्द दूर कर सकें।
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