आपने टेक्निकल टर्म में मेमोरी के बारे में काफी कुछ सुना होगा, अच्छी होनी चाहिए तभी आपकी कोई भी सिस्टम और डिवाइस सही से काम करेगी। तो ठीक ऐसी तरीके से आज हम बात करेंगे वर्चुअल मेमोरी के बारे में। जिसका जिक्र आस पास होता ही रहता है और आप इससे वाकिफ होंगे।
लेकिन इसकी पूरी जानकारी आज हम आपके लिए लेकर आएं हैं इस आर्टिकल में, नमस्कार दोस्तों आप आपका स्वागत है एक बार फिर से आज के हमारे एक और नए लेख में, तो कंप्यूटर तोह आज कल लगभग सभी इस्तेमाल करते हैं और कंप्यूटर में जो मेमोरी होती है रेम और रोम इसके बारे में भी हमने आपको पिछले लेख में जानकारी दी थी।
इन दो मेमेरी के अलवा एक और मेमोरी भी जिसकी जरुरत कंप्यूटर में उतनी ही है जितनी की रेम और रोम की है। इस मेमोरी का नाम है वर्चुअल मेमोरी आज हम वर्चुअल मेमोरी के ऊपर डिटेल में पूरी जानकरी देने वाले हैं। चलिए दोस्तों जानते हैं वर्चुअल मेमोरी क्या होती है।
वर्चुअल मेमेरी क्या होती है?
कंप्यूटर में मुलती प्रोसेसर के काम को करने के लिए उनमे रेम का होना बहुत जरुरी है मल्टीप्रोसेसिंग का मतलब है बहुत सरे प्रोग्राम्स या ऍप्लिकेशन्स को एक साथ रन करना जैसे एक ही साथ माइक्रोसॉफ्ट वर्ड, वेब ब्राउज़र, फोटोशॉप, एक्सेल आदि प्रोग्राम का काम इसमें शामिल है।
किसी भी एप्लीकेशन को और विभिन्न प्रोग्राम को रन करने के लिए कंप्यूटर में रेम ही उस कार्य को करती है। हम जितनी बार अलग अलग एप्लीकेशन अपने सिस्टम में खोलेंगे उतनी बार रेम का स्पेस इन एप्लीकेशन को इस्तेमाल करने के लिए भरा जाता है। और कभी कबर ऐसी सिचुएशन आ जाती है रेम का जो स्पेस रहता है वो पूरी तरह से इन एप्लीकेशन को रन करने से भर जाता जाता है।
उसके बाद कोई भी एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर कंप्यूटर में रन नहीं हो पता है। तो ऐसे सिचुएशन में कंप्यूटर वर्चुअल मेमोरी का इस्तेमाल करता है वर्चुअल मेमोरी कंप्यूटर के हार्ड डिस्क का स्पेस लेकर कंप्यूटर में रेम के अल्टरनेटिव टास्क के लिए उपयोग किया जाता है। यानि वर्चुअल मेमोरी कंप्यूटर को एक अलग रेम उपलब्ध कराती है।
जो फिजिकल रेम से बिलकुल अलग होती है अलग इसलिए होती है क्युकी फिजिकल रेम कंप्यूटर सिस्टम में चिप के रूप में होती है जो की हार्डवेयर है जबकि वर्चुअल मेमोरी एक सॉफ्टवेयर है। तो वर्चुअल मेमोरी का काम यही है की अगर सिस्टम में रेम की स्पेस काम है तो कंप्यूटर में वर्चुअल मेमोरी का प्रयोग कर के उस कमी को पूरा किया जा सकता है।
कंप्यूटर सिस्टम में रेम का साइज लिमिटेड होता है जब हम कंप्यूटर में एक से ऐडा एप्लीकेशन और फाइल्स को खुलते हैं तो रेम का सापे भर जाता है इसी वजह से सिस्टम का स्पीड धीमा हो जाता है उस वक़्त वर्चुअल मेमेरी रेम के डाटा को डिस्क के स्पेस में भेज देता है जिससे रेम खली होने लगता है और फिर कंप्यूटर के टास्क को बेहतर से परफॉर्म कर पता है।
Virtual memory काम कैसे करता है?
जब भी कंप्यूटर में रेम का स्पेस फुल होने लगता है तो कंप्यूटर का ऑपरेटिंग सिस्टम उन एप्लीकेशन और फाइल्स की जाँच करता है जो हम अपने सिस्टम में ओपन रखते हैं और जो भी फाइल्स और एप्लीकेशन हम अपने सिस्टम में मिनीमाइज होकर रहते हैं मतलब जिसपर यूजर उस पर काम नही कर रहा होता है लेकिन वो निचे खुली होती है तो कंप्यू टर उन सभी को वर्चुअल मेमोरी में फाइल्स की सहायता से रेम की डाटा को ट्रांसफर कर देती है।
जब डाटा को फिजिकल मेमोरी से वर्चुअल मेमोरी में ट्रांसफर किया जाता है तब os उस एप्लीकेशन प्रोग्राम को कई फाइल्स में डिवाइड कर देती है। और साथ में हर फाइल्स के साथ एक फिक्स्ड नंबर का एड्रेस भी जोड़ देती है। तो डाटा ट्रांसफर करने के लिए कंप्यूटर रेम की उन एरिया की तरफ देखता है जो हल ही में प्रयोग नहीं किये गए और उन्हें हार्डडिस्क के वर्चुअल मेमोरी में कन्वर्ट कर देता है।
हर फाइल्स हार्डडिस्क में जेक इक्क्ठा हो जाते हैं इससे हमारी रेम की स्पेस खली हो जाती है और जिस एप्लीकेशन पर यूजर प्रेजेंट में यानि वर्त्तमान में काम कर रहा होता है वो बहुत अच्छे से स्मूथली चलता है। नयी एप्लीकेशन भी आसानी से लोड हो पति है तो जब हम उन एप्लीकेशन को ओपन करते हैं जो हमने मिनीमाइज कर के रखा है उस वक़्त हार्डडिस्क के वर्चुअल मेमोरी में जो फाइल्स ट्रांसफर की गयी थी उस फाइल्स के एड्रेस को वापस से डिस्क से कनेक्ट कर के रेम में फिर से भेज देता है।
जिससे हम उस प्रोग्राम और एप्लीकेशन पर आसानी से काम कर पते हैं। os तब तक हार्ड डिस्क से फाइल्स को रेम में लोड नहीं करती है जबतक उनकी जरुरत नहीं पड़ती। इस प्रोसेस से कंप्यूटर में रेम के साइज को बढ़ाया जाता है जिससे कंप्यूटर पर एक से ज्यादा प्रोग्राम को चलाते टाइम काम साइज की रेम के प्रॉब्लम से छुटकारा पाया जा सकता है।
वर्चुअल मेमोरी कंप्यूटर की फिजिकल मेमोरी नहीं है ये एक ऐसे तकनीक है जिससे बड़ी प्रोग्राम को एक्सेक्यूटे करने की परमिशन देती है। जो पूरी तरह से प्राइमरी मेमोरी यानि की रेम में नहीं राखी जा सकती है। वर्चुअल मेमोरी ऑपरेटिंग सिस्टम का ही एक भाग है जो रेम के कार्य को पूरा करने में हेल्प करता है। तथा उन सारी एप्लीकेशन को जिन्हे आप पहले एक्सेस नहीं कर पा रहे थे उन्हें इस मेमोरी के जरिये आसानी से कर पाएंगे।
Virtual memory के क्या फायदे हैं?
दोस्तों अब आगे जानते हैं की वर्चुअल मेमोरी के क्या फायदे हैं? वर्चुअल मेमोरी उस टाइम बनाया गया था जब रेम बहुत ही महंगी हुआ करती थी और कंप्यूटर में संयमित मंत्र रेम होने के कारन से कंप्यूटर की मेमोरी फुल हो जाती थी। खास कर के जब हम मल्टीप्ल प्रोग्राम को एक साथ रन करते हैं।
वर्चुअल मेमोरी से हम लगभग अपने कंप्यूटर के मेमोरी को दो गुना कर सकते हैं। जिससे कंप्यूट की स्पीड पहले से ज्यादा बढ़ सकती है और इसका सबसे ज्यादा फ़ायदा ये है की प्रोग्रामर्स एप्लीकेशन बनाने के लिए बड़े बड़े प्रोग्राम्स लिख सकते हैं। क्युकी फिजिकल मेमोरी की तुलना में वर्चुअल मेमोरी बहुत बड़ी होती है।
Conclusion
आशा है की आपको इस लेख से वर्चुअल मेमोरी क्या है और ये काम कैसे करती है अच्छी तरह से समझ आ गया होगा। फिर भी आपका कोई suggestion है आपको यह लेख कैसा लगा ये सब कुछ आप हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं तो आगे आपसे मुलाकात होगी आप के किसी एक नए सवाल के साथ।
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